• चिंताजनक है ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

    प्रसव पीड़ा की मारी एक महिला रात में अस्पताल पहुंचने के लिए पहाड़ी के पांच किलोमीटर रास्ते को कैसे पार करती है

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    - डॉ.संजना मोहन- लेखा रत्तनानी

    विकसित देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा कवरेज के साथ भी भारी समस्याएं हैं। अमेरिका में लगभग 15 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। रहने की कम लागत और जीवन की धीमी गति के कारण ग्रामीण समुदाय में रहने का विकल्प चुनने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का विशेष रूप से सामना करना पड़ता है। उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं वाले बुजुर्ग लोगों का प्रतिशत अधिक है

    प्रसव पीड़ा की मारी एक महिला रात में अस्पताल पहुंचने के लिए पहाड़ी के पांच किलोमीटर रास्ते को कैसे पार करती है? जिस परिवार के पास दूध या अंडे खरीदने की ताकत न हो और उस परिवार में सिलिकोसिस और तपेदिक से गंभीर रूप से पीड़ित कु पोषित युवक हो उस परिवार को आप क्या पोषण सलाह देते हैं? उस बीमार बच्चे का क्या होगा जहां निकटतम स्वास्थ्य सुविधा 20 किमी दूर है और वहां परिवहन की कोई सुविधा उपलब्ध न हो? दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में, जो अस्वच्छता, बाढ़ और कुपोषण से बुरी तरह प्रभावित हैं, वहां आप मलेरिया, डायरिया, हैजा जैसी बीमारियों का मुकाबला कैसे करेंगे? हम इन्हें अक्सर ग्रामीण भारत में स्थितियों के रूप में देखते हैं पर वे इस देश तक सीमित नहीं हैं। ये कहानियां दुनिया भर में मौजूद हैं। विकासशील और विकसित देशों के बीच भारी अंतर के बीच दुनिया भर में ग्रामीण स्वास्थ्य की पहुंच एक प्रमुख मुद्दा है। स्वास्थ्य और आधुनिक संसाधन आम तौर पर शहरों में केंद्रित होते हैं। सभी देशों में परिवहन और संचार संबंधी मुश्किलें हैं और वे सभी देश ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी की चुनौती का सामना करते हैं। इन समस्याओं पर 4 अप्रैल से बेंगलुरु में शुरू हुए तीन दिवसीय विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में चर्चा होगी।

    शहरी क्षेत्रों में 22 प्रतिशत आबादी तक स्वास्थ्य सेवाओं और कवरेज की पहुंच है जबकि इसकी तुलना में दुनिया भर में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और कवरेज 56 फीसदी से कम है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 10.3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का दो तिहाई भाग ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में है। 'ग्रामीण स्वास्थ्य संरक्षण में असमानताओं पर वैश्विक साक्ष्य' शीर्षक से मई 2015 की रिपोर्ट में '174 देशों के लिए स्वास्थ्य कवरेज में ग्रामीण घाटे पर नया डेटा', नामक लेख में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के बीच प्रमुख स्वास्थ्य पहुंच असमानताओं का खुलासा किया गया है। यह असमानता विशेष रूप से अफ्रीका में स्पष्ट दिखायी देती है जहां ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का अभाव है।

    हालांकि घाटा हर जगह महसूस किया गया लेकिन कम आय वाले देशों और धन के असमान वितरण वाले देशों में यह अंतर बहुत अधिक है। उदाहरण के तौर पर देखें तो नाइजीरिया की जीडीपी अफ्रीका में सबसे ज्यादा है लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,000 अमरीकी डालर से कम है। यहां की जनसंख्या 20.6 करोड़ है। यह अफ्रीका का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यहां आय का अत्यधिक असमान वितरण है जो इसे अमीर और बहुत गरीब दोनों बनाता है। देश की आबादी का लगभग 40 फीसदी हिस्सा गरीबी और विषम सामाजिक परिस्थितियों में रहता है जो बीमारियां पैदा करते हैं जिसे आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च से विनाशकारी उच्च स्वास्थ्य व्यय के नाम से जाना जाता है। नाइजीरियाई स्वास्थ्य देखभाल खर्च, लगभग 80प्रति सैकड़ा आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च (वह खर्च जो आप अपनी जेब से करते हैं, जिसकी प्रतिपूर्ति या रिइम्बर्समेंट बाद में हो सकता है या नहीं भी हो सकता)। इसका मतलब यह है कि व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा या सरकारी धन पर निर्भर रहने के बजाय सीधे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं। भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में कुल स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में लगातार गिरावट देखी गई है जो 2017-18 में 48.8 प्रति सैकड़ा से घटकर 2021-22 में 39.4 फीसदी हो गई है।

    विकसित देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा कवरेज के साथ भी भारी समस्याएं हैं। अमेरिका में लगभग 15 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। रहने की कम लागत और जीवन की धीमी गति के कारण ग्रामीण समुदाय में रहने का विकल्प चुनने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का विशेष रूप से सामना करना पड़ता है। उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं वाले बुजुर्ग लोगों का प्रतिशत अधिक है जो क्लीनिक या अस्पतालों तक कम पहुंच रखते हैं। ये आंकड़े सिर्फ यह दिखाने के लिए है कि अमीर माने जाने वाले देश स्वास्थ्य सेवा के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन को देखते हुए कोई अच्छी हालत में नहीं हैं।

    उदाहरण के तौर पर नीदरलैंड एक छोटा व विकसित देश है जिसमें उच्च जनसंख्या घनत्व है और जिसे अपेक्षाकृत कम दूरी को देखते हुए अन्य देशों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मामूली पहुंच के मुद्दों के कारण कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, लेकिन शहरी और ग्रामीण नगरपालिकाओं में जनसंख्या घनत्व में अंतर बड़ा है तथा ग्रामीण इलाकों से शहरी क्षेत्रों में युवाओं के बढ़ते अप्रवासन के कारण ग्रामीण विरल आबादी की समस्याएं बढ़ रही हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पीछे छूट गए लोगों की बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की मांगों के कारण है जिन्हें पूरा नहीं किया जा रहा।

    ग्रामीण जनता खराब स्वास्थ्य, पहुंच की कमी और गरीबी के चक्र में फंसी हुई है। 1992 के बाद से फैमिली डॉक्टरों के विश्व संगठन डब्ल्यूओएनसीए (वर्ल्ड ऑर्गनाडजेशन ऑफ नेशनल कॉलेज एकेडेमिज़ एंड एकेडेमिक एसोसिएशन ऑफ जनरल प्रेक्टिशनर्स, फैमिली फीजिशियन्स) ने ग्रामीण स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है। उक्त संगठन के माध्यम से किया गया यह अध्ययन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की प्रैक्टिस पर आधारित है जिसने विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलनों और डब्ल्यूओएनसीए ग्रामीण नीतियों के माध्यम से ग्रामीण स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का डब्ल्यूओएनसीए के साथ समझौता है जिसमें ग्रामीण स्वास्थ्य पहल शामिल है। 20 साल से अधिक समय पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और वोंका ने ग्रामीण स्वास्थ्य पर एक प्रमुख विश्व स्वास्थ्य संगठन - डब्ल्यूओएनसीए आमंत्रण सम्मेलन आयोजित किया था। इस सम्मेलन ने ग्रामीण स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल की एक विशिष्ट कार्य योजना शुरू की। फिर भी, वास्तव में कुछ नहीं हुआ है। इसके बावजूद दुनिया भर के ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय निकायों के संयुक्त ठोस प्रयासों के माध्यम से ग्रामीण लोगों के लिए 'सभी के लिए स्वास्थ्य' का नजरिया प्राप्त होने की अधिक संभावना है।

    भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं। वहां युवा डॉक्टरों को गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने जैसी पहल चल रही हैं। इस साल अक्टूबर में भारत भर के युवा डॉक्टरों का एक समूह उदयपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर एक गांव इसवाल में बैठक करेगा जो बेसिक हेल्थकेयर सर्विसेज द्वारा आयोजित ग्रामीण संवेदीकरण कार्यक्रम (आरएसपी) में भाग लेगा। यह राजस्थान की एक गैर-लाभकारी संस्था है जो राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलाती है। आरएसपी तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यक्रम है जो इस समूह को एक ओर अच्छी तरह से काम करने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और दूसरी तरफ ग्रामीण व आदिवासी समुदायों के प्रतिदिन के जीवन और संघर्षों को उजागर करने की उम्मीद रखता है। आरएसपी कई युवा डॉक्टरों के बीच कॉर्पोरेट अस्पतालों, फार्मा कंपनियों और कमीशनखोरी की वास्तविक दुनिया से बढ़ते मोहभंग के जवाब में उभरा है। उन्हें किस तरफ जाना चाहिए? इसका जवाब ग्रामीण भारत दे सकता है क्योंकि वह अपनी स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी समस्याओं से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा है। हमें समुदाय के करीब आधारित स्वास्थ्य सेवा मॉडल की आवश्यकता होगी जो नैतिक और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा का प्रैक्टिस करते हैं। ग्रामीण संवेदीकरण शेष विश्व के लिए मार्गदर्शक हो सकता है।

    (डॉ. संजना बेसिक हेल्थ केयर सर्विसेज की सह-संस्थापक व लेखा रत्तनानी द बिलियन प्रेस की प्रबंध संपादक हैं। (सिंडिकेट: द बिलियन प्रेस)

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